मुराद्पाये जायरिनो की जबानी
सराडा में कयाम के दौरान रेलवे फैमेली का एक शख्स हाफ्ता काँपता पसीने में शराबुर , जिसे देख कर ही कोई अंदाजा लगा सकता था कि बेहद परेशान है ,हज़रत की बारगाह में आया और दस्त बस्ता होकर अर्ज करने लगा हज़रत ! में बहुत परेशान हूँ काफी दिनों से मेरी बीबी की तबियत ख़राब है उदयपुर के तमाम बड़े बड़े डाक्टरों से इलाज कराया और काफी रुपये बिगाड़े फिर भी नाकामी के सिवा कुछ भी मिला | इस के अलावा बड़े -बड़े हाकिमो की हि.कमत भी नाकाम हो गई और आज तो हालत बहुत गंभीर है मेरा गरीब खाना आज मातम खाना बना हुआ है हज़रत ! बराए करम इसे एक नज़र देख ले तो हो सकता है कि अल्लाह तआला उसे शिफा दे दे | हज़रत ने फ़रमाया इन्मिनान से बैठ जाओ ! घबराओ नही अल्लाह ने चाहा तुम्हारी बीबी शिफयाब हो जाएगी | क्योकि जंहा डॉक्टर ,हकीमो कि इन्तेहा है वंहा कामिल फकीरों कि इबतेदा है तुम्हारी बीबी शिफयाब हो जाएगी | हज़रत के उन अल्फाज़ा को सुनकर ग़मज़दा इन्सान को कुछ तसल्ली हुई | उसके बाद हज़रत ने फ़रमाया चलो देखते है हज़रत बाबा साहब जब उस के घर पहुंचे तो वाकई हर तरफ से रोने पीटने कि आवाज आ रही है छोटे छोटे बच्चे कोई तो सर कि तरफ बैठ कर रो रहे है और कोई पांव कि तरफ बैठ कर रो रहे है और सभी रिश्तेदार वंहा जमा होकर गमी मना रहे है और अफ़सोस में पड़े है हज़रत ने फ़रमाया सब खामोश हो जाओ हज़रत कि आवाज सुन कर सब खामोश हो गये वो मरीज वाकई चंद सासों कि मेहमान थी, और थोड़ी देर में आलमे फानी से गुजरने ही वाली थी | जो ज़ज्ब के आलम में निकले लबे मोमिन से
वो बात हकीकत में तदबीरे इलाही है | नंदकिशोर जी जावरा के करीब गाँव बोरखेडा के रहने वाले हैं | उनके वालिद का नाम ईश्वरलालजी हैं | नंदकिशोर को तीन महीने से असर का चक्कर था | बहुत सारी जगह ले जाया गया लेकिन कहीं भी शीफायाब नहीं हुए | आखिर मॅ जनाब फ़िरोज़ भाई जो कि बोरखेडा के ही रहने वाले हैं उन्होनें मरीज़ नंदकिशोर के वालिद ईश्वरलालजी को हज़रत बाबा साहब के बारे मैं बताया क्योकि ख़ुद फ़िरोज़ भाई की अहलिया हज़रत बाबा साहब की नेक दुआओं से शीफ़याब हो चुकी हैं | ईश्वरलालजी ने कहा ठीक हैं वहाँ भी चलेंगे , इसी दरमियान नंदकिशोर के मरज़् ने और ज़्यादा परेशान करना शुरू कर दिया | कभी कभी तीन दिनों तक बेहोश रहने लगा | नंदकिशोर के वालिद ईश्वरलाल जनाब फ़िरोज़ भाई के पास दौड़े हुए आए और कहा मेरे लड़के नंदकिशोर की तबीयत काफ़ी बिगड़ गयी हैं | तीन दिन से बेहोश पड़ा हैं, आज हज़रत बाबा साहब के पास उसको लेकर जाना हैं, इसलिए आप भी आप भी चलिए | आख़िरकार बहुत जल्द मरीज़ नंदकिशोर को हज़रत बाबा साहब की बारगाह मे लाया गया | हज़रत बाबा साहब ने एक नज़र मरीज़ नंदकिशोर को देखा और वो मरीज़ जिसने तीन दिनों से आँखें भी नहीं खोली थी उसने आँखें खोल दी और उठकर बैठ गया और शिफआयाब होकर लौट आया | भोपाल डेवलपमेंट के नायाब चेयरमैन सलीम ख़ान के यहाँ पर बाबा साहब का क़याम था | उनके दोस्त के यहाँ फिल्म की शूटिंग मे एक बच्ची शूटिंग करते करते खड़ी होती हैं वह सब और बच्ची खुद भी परेशान हो जाती हैं | इस परेशानी के मुंबतेला उन सज्जन ने अपनी परेशानी जब सलीम ख़ान को बताई तो उन्होनें अपने दोस्त की इस परेशानी को बाबा साहब की खिदमत में पेश किया हज़रत बाबा साहब ने उस बच्ची को बुलाया बड़ी मुश्किल से लोगों ने पकड़कर उस बच्ची को बाबा साहब की खिदमत में पेश किया, ज़ाहिरी तकलीफ़ में मुब्तेला उस बच्ची ने चौखट के अंदर दाखिल होते ही फर्श पर लौट लगानी शुरू कर दी वो पूरे एक घंटे तक इसी तरह लौट लगाती रही | वहाँ मौजूद उसके खानदान के अफ़राद माजरा देखकर सख़्त हैरान और परेशान थे| एक घंटे के बाद लड़की खड़ी हो गयी अब वह पूरी तरह सेहत मंद थी और सारी जाहिरी और बातनी तकलीफ़ से उसे निजात मिल चुकी थी फिर वह भोपाल से मुंबई अपनी किस्मत आज़माने के लिए चली गयी उसे अपने कैरियर को बनाने मैं बड़ी कामयाबी मिल रही हैं | अब वह खुशी और लुत्फ़ भरी जिंदगी गुज़ार रही है | घौसला (जिला उज्जैन) के एक किन्नर को बड़ी सख़्त बीमारी के आलम में बाबा साहब की ख़ानकाह मे लाया गया | इसका खाना पीना बंद हो चुका था किसी इलाज से इसको फ़ायदा नहीं हो रहा था | उसे वहाँ पर कुछ दिन ठहरने के लिए कहा गया इसने इस हुक्म की तामील की और वह चन्द दिनों ही में सेहतमंद होकर अपनी झोली मे खुशियों को डाल कर अपनी बिरादरी से जा मिला | उस खबर को पाकर इसकी बिरादरी के लोग भोपाल, इन्दौर, पंजाब, इटारसी, शाजापुर से इज़हारे मसररत करते रहे | |