पैग़ाम

डॉ. ज़िया राना

सदर - अदबी संगम, उज्जैन
सेक्रेटरी - बज़्मे अदम, उज्जैन

ज़माना बाअदब होकर उन्हें तस्लीम करता है |
मज़हब जिनका मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है |
"मोहब्बत दरअसल इबादत का दूसरा नाम है | "
सदियों से हिंदुस्तान, ऋषियों-मुनियों, सूफी-संतों और औलिया-ए-किराम का देश रहा है |
दुनिया में समस्त धर्मो के अवतारों, पैगम्बरों व रसूलो के आने का मकसद यही था के इंसान -इंसान के काम आए, भारत की सरज़मीन से सूफी, संतो ने सारी दुनिया को प्रेम , सद्भाव व इंसानियत का सन्देश दिया है |
हज़रत बाबा साहब की सरपरस्ती या मोजुदगी हम पर परवरदिगार की रहमत की तरह है, एसीही हस्तियों के सबब हम बाला ए नागहानी से बचते हुए खुशहाल और सलामत रहते है |
यहाँ मौजूदगी उनकी कोई एजाज़ है "राना"
के सदियों बाद कोई एक जिम्मेदार आता है ||
मुबारकबाद देता हूँ उन तमाम एहबाब को जो बाबा साहब की हयात पर "ज़ियाए तसव्वुफ़" किताब के लिए अपनी खिदमत दे रहे है |
जूनूं कहते है जिसको वो अगर हद से गुज़र जाएँ |
जहाँ दीवाना रुक जाये वहीँ दुनिया ठहर जाएँ ||


पयाम वासिफ एडव्होकेट  :

यह मेरे लिए फक्र की बात है की मुझे यह खिदमत सुपर्द की गयी की में हज़रत बाबा साहब सोनगिरी  के मुताल्लिक जो किताब शाय हो रही है उसके लिए कुछ लिखू  ! दरअसल मुझसा नाचीज़ इन्सान एक बुजर्ग हस्ती के लिए लिखने के लायक नहीं है फिर भी मेने हज़रत बाबा साहब की खिदमत में हाज़िर होकर जो महसूस किया है वह कलमबंद कर रहा हूँ !
हज़रत बाबा साहब बुजर्ग हस्ती है !अल्लाह ने आपको नवाज है और आपकी दुआओ में असर है ! मेने यह देखा के आपके दरबार में न तो कोई बड़ा है न कोई छोटा है और महज़ या धर्म के आधार पर भेदभाव है ! आपके दरवाजे  सभी इंसानों के लिए खुले हुए है और अकिदमंद आपकी खिदमत में हजिर होकर फेज पा रहे है !
           आपकी आँखों में मैंने एक अजीब सी गहराई देखी हैं ! ऐसी के जिसमें तसव्वुफ़ का दरिया लहरें मार रहा  हैं ! आपके सोचने का अंदाज़ भी ऐसा हैं जिससे यह लगता हैं कि चाहे आप कई लोगो के बीच तशरीफ़ रखें हों लेकिन आप किसी ऐसी ग़ैबी हस्ती से मासरफे गुफ़्तगू हैं जो हस्ती नज़र नहीं आती ! मैंने यह तक देखा हैं की भूत-चुडेल और आसेब से सताये हुए लोग और ख़ासतौर से महिलाएं आपकी ख़िदमत में आती हैं और नापाक रूहों से उनको छुटकारा मिलता है ! हज़रत बाबा साहब को मौसिक़ी से भी  ख़ास लगाव है ! मैंने देखा है कि आप क़व्वाली सुनना बहुत पसंद फ़रमाते है और कव्वालों से ख़ासतौर से सूफ़ियाना  कलाम सुनना पसंद करते है l
          जहाँ हज़रत बाबा साहब की शख्सियत का एक पहलू है वहीँ दूसरी जानिब आपकी सोच और फ़िक्र में कौमी इत्तेहाद (राष्ट्रीय एकता) कूट कूटकर भरी हैं !
         आपका फ़रमान हैं - मेरा पैगाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुचें !
         मैं हज़रात बाबा साहब जो एक बहुत बड़े बुज़ुर्ग हैं कि दरजिये उम्र कि दुआ मांगते हुए ख़ुदा से इल्तिजा करता हूँ कि बाबा साहब का फैज़ोंकरम इंसानों और इंसानियत के लिए हमेशा जरी रहे !


डॉ. हसीद अंसारी

इस्लाम में आफ़ाकी पैग़ाम जब कायनात पर ज़ाहिर हुआ और इंसानियत की भलाई के लिए उसे लागू कर दिया गया तो वक़्त के साथ उसमे फ़साद भी रूनुमा होता रहा !
 लेकिन उसकी इस्लाह के लिए नबीयों का सिलसिला जरी रहा ! जब यह सिलसिला मुनकतअ हो गया तो इसकी जिम्मेदारी बाद के नेक बुजुर्गों के ज़रिये अंजाम पाने लगी !    उनकी सोहबतों से आवामो ख्वास का एक गिरोह फायदा उठाने लगा ! उसके ज़रिये उन बुजुर्गो ने समाज की बे तरतीब में तवाजुन का कम भी किया !
इस सिलसिले की कड़ी का रोशन चिराग हज़रत बाबा साहब हैं उनकी मकबूलियत का यह आलम है कि दुरो दराज़ के लोग उनसे फ़ैज़ हासिल करने के लिए हाज़िर होते हैं !
अल्लाह से दुआ है के इस माज़ी के नेक बुजुर्गो कि तरह इस रोशन चिराग से सिर्फ और सिर्फ दिने हक़ कि सच्ची तालीमात का फ़रोग रोज़ अफजूं होते रहें ! आमीन !


डॉ. अनीता सोनी

यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई की हज़रत बाबा साहब की दुआए एक किताब के रूप में प्रकाशित हो रही है l बाबा साहब के रूहानी इल्म और खुदा से उनकी नज़दीकी का यह खुबसूरत और नायाब आइना साबित होगी l
हज़रत बाबा साहब दुनिया के इस दोरे में दुआ की वो तहरीर है जिसमे खुदा बस्ता है l किसी बेकस के लिए दुआ में उठे हुए बाबा साहब के हाथो से ईश्वर की नेमत बरसती है l
आज हर इन्सान एक न एक मुश्किल में उलझा हुआ है जहा न दावा काम करती है न दोलत l  वहा जरुरत होती है खुदा के किसी खास बन्दे की जो अपने रूहानी जज्बातों से खुदा को भी मजबूर कर दे की वो खुद  दुआओं में बसकर अपने नूर से अपने रहमो करम से दुखियो के दुःख दूर कर दे l मालिक के एसे खास बन्दे हज़रत बाबा साहब के दर्शन और आशीर्वाद का पुण्यलाभ  मुझे भी हुआ l
सूरज जो सारे संसार को रोशन को रोशन करता है , अगर उसे रोशनी की दुआ दे केसा लगेगा l कुछ एसा ही मुझे भी लग रहा है l खुदा से ईश्वर से यह तमन्ना रखते हुए की हज़रत बाब साहब अपने पाक इंसानी जिस्म को अपनी रूहानियत के साथ सकडो साल महफूज रखे रहे ताकि इंसानियत इसार और इन्सान -इन्सान केर बिच प्यार , भाई चारा और अमन का यह सहारा हमसे छिनने न पाए l
मंत्री खुदा से इश्वर से और खुद बाबा साहब से गुजारिश है की उनकी दुआओ का उनके आशीर्वाद का हाथ अदब के शायरी के और मेरे सर पर बना रहे l हमेशा- हमेशा l


यशवंत चौहान

(राष्ट्रीय ओज कवि )
एम. ए.-हिंदी साहित्य, अर्थशास्त्र

रहनुमा है सबका वो ,सबके करीब है ,
दरबार में उनके , ना कोई गरीब है ||
खिदमते-खलक से फुर्सत नहीं मिली,
हर दर्द से निजातदे , शख्श अजीब है |
हिन्दू -ओं-मोमिन सबको है तेरा पनाह ,
दर    पे    तेरे   ना   कोई   रकीब  है ||
सजदा करूँगा आपके दरबार में सदा ,
हज़रत बाबा साहब खुदा के हबीब है |
हर जरे में पाया अहसास है तेरा ,
हर दिल में बसा है तू हरदिल अजीज़ है |
दीदार को तरसे है तेरे , राजा और रंक
दीदार तेरा पा लिया वो खुशनसीब है ||


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